अगस्त में पीक पर पहुंचने के बाद कम होगा कोरोना का असर, शोध में सामने आई जानकारी

चंबा (टिहरी)

Coronavirus in In India Latest News : Covid 19 will On Peak in August, Hnb University SIR Research Revealed

एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विवि के भौतिकी विभाग ने गणितीय विश्लेषण से लगाया अनुमान
एसआईआर मॉडल का उपयोग कर किया गया संक्रमण पर शोध
विस्तार
देश में कोरोना वायरस का असर इस साल के अंत तक खत्म होने का गणितीय आकलन किया गया है। एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विवि के एसआरटी के भौतिकी विभाग ने एसआईआर मॉडल की मदद से जुटाए गए आंकड़ों का गणितीय विश्लेषण करने के बाद अगस्त में कोरोना वायरस के पीक पर पहुंचने के बाद कम होने का अनुमान लगाया है।

एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विवि के एसआरटी परिसर बादशाहीथौल के पूर्व निदेशक और भौतिक विज्ञान के प्रो. आरसी रमोला ने ससेप्टेबल-इंफेक्टेड-रिकवर्ड (एसआईआर) मॉडल का उपयोग करके कोरोना वायरस महामारी पर एक शोध किया है।
एसआईआर मॉडल की मदद से कोरोना वायरस संक्रमण दर, मौत के आंकड़ों और ठीक हुए मरीजों के आंकड़ों का अध्ययन किया गया है। शोधपत्र को रिसर्चगेट के कोविड-19 अनुसंधान समुदाय की वेबसाइट पर अपलोड किया जा चुका है।

शोध में 20 मई तक के आंकड़े लिए गए
शोध में कोरोना वायरस संक्रमण के 30 जनवरी को मिले पहले मामले से लेकर लॉकडाउन काल के 20 मई तक के आंकड़े लिए गए। अगस्त प्रथम सप्ताह में कोरोना संक्रमितों की संख्या पीक पर पहुंचने के बाद कम होने लगेगी। शोध के आधार पर देशभर से दिसंबर अंत तक कोविड-19 के असर के खात्मे का अनुमान है।

इस अध्ययन में यह भी कहा गया है कि आने वाले समय में आंकड़ों का स्वरूप बदल भी सकता है, जिससे वायरस के चरम पर पहुंचने और खत्म होने के अनुमानित समय में बदलाव भी हो सकता है।

प्रो. रमोला ने बताया कि कोविड-19 की वैक्सीन के बनने तक सामाजिक दूरी और गाइड लाइन का पालन करने से ही वायरस के प्रसार को रोक सकते हैं। रोकथाम के उपायों का सख्ती से पालन करने की आवश्यकता है, जो देश में महामारी के प्रसार को नियंत्रित करने में मदद करेगा।

क्या है एसआईआर मॉडल
ससेप्टेबल-इंफेक्टेड-रिकवर्ड (एसआईआर) मॉडल ब्रिटिश वैज्ञानिक कर्माक और मैक्केंडिक ने घनी आबादी क्षेत्र में संक्रामक महामारी का चरम पर पहुंचने से लेकर खात्मा होने तक का पता लगाने के लिए विकसित किया है। मॉडल से पूरी आबादी के तीन तरह के व्यक्तियों की बीमारी के आधार पर गणितीय गणना की जाती है।

पहला अतिसंवेदनशील व्यक्ति, जो संक्रमित नही है, लेकिन संक्रमित हो सकते हैं। दूसरा, संक्रमित व्यक्ति, जिनको यह बीमारी होती है और इसे अतिसंवेदनशील तक पहुंचा सकते हैं। तीसरे, ठीक हुए अथवा मृत व्यक्ति, जो संक्रमित नही हो सकते हैं और दूसरों को बीमारी भी नही पहुंचा सकते हैं। इन आंकड़ों की इस मॉडल में गणितीय विश्लेषण करने के बाद महामारी की भविष्यवाणी की जाती है।

 

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